Attitude Shayari - ऐटिटूड शायरी
इतने जल्द , ना सारे राज़ बताया करो,
गर बात लंबी करनी है कुछ राज़ छिपाया करो
मेरे बिना क्या जिंदगी गुजार लोगे तुम
इश्क़ हूँ बुखार नही जो दवा से उतार लोगे तुम
प्यार तो आज भी हमारा चुम्बकीय है
बस आप में ही लोह-तत्व की कमी है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
जुनून था किसी के दिल मे जिंदा रहने का
नतीजा ये निकला के हम अपने अंदर ही मर गए
वो भी रो देगा उसे हाल सुनाएं कैसे
मोम का घर है चराग़ों को जलाएं कैसे
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़
आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़
और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास
पत्थर मुझे समझता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
कब की पत्थर हो चुकी थीं, मुंतज़िर आँखें,
मगर छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गए
हमने तेरे बाद मोहब्बत को
जब भी लिखा गुनाह लिखा
Attitude Shayari In Hindi
बात दिल की जो आँखों ने बया करदी ,
मोहब्बत कमाल थी ,
खामोशी ही सब कह गयी
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Attitude Shayari |
ऐसा जीना भी क्या जीना
जिस जीने पर हम चढ़ न सकें
उन्ही लफ़्जो के अश्क बनते है
जो जुबा से बया नही होते
अव्वल तो मैं उनकी तरफ़ देखता ही नहीं
ग़र देख़ लेता हूँ तो फिर देखता ही रहता हूँ
नज़रें मिले तो प्यार हो जाता है
पलकें उठे तो इज़हार हो जाता है
ना जाने क्या कशिश है चाहत में
के कोई अनजान भी हमारी
ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है
सकून मिलता है जब उनसे बात होती है
हज़ार रातों में वो एक रात होती है
निगाह उठाकर जब देखते हैं वो मेरी तरफ
मेरे लिए वो ही पल पूरी कायनात होती है
फूल बनकर मुस्कुराना जिन्दगी है
मुस्कुरा के गम भूलाना जिन्दगी है
मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ
बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी है
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो
लोग भी कमाल करते है,
दोस्त दोस्त बोल कर
इस्तेमाल करते है
अजनबी सी है ये जिंदगी और वक्त की तेज़ रफ्तार है ,
किस्मत में कुछ भी नहीं और दर्द हजार है
ऐ ज़िन्दगी आ बैठ कहीं चाय पीते है
तू भी थक गई होगी मुझे भगाते - भगाते
मेरे फितरत में नही किसी को भूल जाना दोस्त
भूलते वो है जिन को अपने आप पर गुरुर होता है
Attitude Shayari Hindi
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं
किसी ने आज ये कह के दिल तोड़ दिया साहिब
कि मै तेरी नहीं, तेरी शायरी की दीवानी हूं
सब खुशियाँ तेरे नाम कर जाएंगे
ज़िंदगी भी तुझ पे कुर्बान कर जाएंगे
तुम रोया करोगे हमें याद कर के
हम तेरे दामन मे इतना प्यार भर जाएंगे
जिस्म मुराद के लिये गया था
मज़ार पर और रूह मुरीद हो गयी,
जिस्म अब भी ख़्वाहिशों मे
उलझा है और रूह की ईद हो गयी
फक़त तुम्हारा खयाल हुँ मैं
सुनो तुम अपना खयाल रखना
कहीं तो लुटना है फिर नक़्द-ए-जाँ बचाना क्या
जो आ गए हो तो मक़्तल से बच के जाना क्या
शजर दे दो, ये घर दे दो,
उन्हें सब, मालो ज़र दे दो
अगर फिर भी, लगे कम,
मेरे हिस्से की, उमर दे दो
विरासत से, नहीं दरकार,
मुझको ऐ, तलत कुछ भी
फ़क़त रखने, को हिस्से में,
मेरी माँ उम्र, भर दे दो
लोग कहते हैं कि मज़हर मर गया
फ़िल्हक़ीक़त वो तो अपने घर गया
खुदारा मेरी मोहब्बत मे वो इस कदर खो जाए,
मेरा न हो सके तो किसी का न हो पाए
ये उनकी मोहब्बत का नया दौर है
जहाँ कल मैं था आज कोई और है
शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूँ।
दिल ही काफ़ी है तेरी याद में जलने के लिये।।
नींद आए या ना आए चिराग़ बुझा दिया करो
यूं किसी का जलते रहना देखा नहीं जाता
सबक़ फिर पढ़ सदाक़त का, अदालत का, शुजाअत का।
लिया जाएगा तुझसे काम दुनिया की इमामत का
एक वलवला-ए-ताज़ा दिया मैंने दिलों को।
लाहौर से ता ख़ाक-ए-बुख़ारा व समरक़ंद।।
"कितना खुशनुमा होगा,वो मेरी मौत का मंज़र"
"जब मुझे ठुकराने वाले खुद मुझे पाने के लिए आंसू बहायेंगे"
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